सामान्य (general) गलतियाँ (mistakes) जो अक्सर हम और आप करते हैं
हम मे से कई (many) लोग 'करा' शब्द (word) का उपयोग (use) करते हैं जो सुनने में भी ख़राब लगता है और व्याकरण की दृष्टि से भी सही नही है (is grammatically imappropriate) । उदाहरण के लिए(for example) , अगर आप कहें कि 'मैंने गृह कार्य करा' (I did my home work)
और अगर आप कहें कि 'मैंने गृह कार्य किया'
आप ही बताइए कि कौनसा वाक्य (sentence) ज्यादा सही है?
मेरे ख्याल से (according to me) तो 'मैंने गृह कार्य किया' सुनने में ज्यादा ठीक लगता है।
ये व्याकरण के अनुसार (according to grammer) भी सही है।
कोशिश (try) कीजियेगा कि 'किया' शब्द का उपयोग करें। धीरे - धीरे ये आपकी आदत (habit) में आ जाएगा।
Sunday, August 2, 2009
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आग जलनी चाहिए- दुष्यन्त कुमार (Dushyant Kumar)
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए.
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए.
Saturday, August 1, 2009
शुरुआत ( the begining)
मैंने ये ब्लॉग इसलिए बनाया क्योंकि (because) मैं एक मंच (stage) चाहती थी जहाँ (where) मैं अपनी बात बिना (without) किसी (any) झिझक (hesitation) के कह सकूँ।
मैं एक महाविद्यालय (college) में प्रौद्योगिकी (technology) का अध्ययन (study) कर रही हूँ। यहाँ पढ़ते समय एक बात मुझे हमेशा खटकती थी कि हिन्दी इतनी अच्छी भाषा (language) होते हुए भी आजकल के युवा वर्ग (youth) से बहुत दूर है। मतलब यह कि अख़बार (newspaper) पढ़ना भी उन्हें टेढी खीर लगता है। मैं ये नही कहती कि मैं इस युवा वर्ग में हिन्दी के लिए आदर (respect) जगाना चाहती हूँ। मैं कोई बड़ी बातें नही कर रही पर सिर्फ़ इतना चाहती हूँ कि वे कम से कम अपनी मातृभाषा (mother tongue) को समझे, कम से कम उसे पढ़ तो सकें फिर चाहे उसका सम्मान (respect) करें या न करें।
ये काम इतना आसान नही है पर मेरा प्रयास (effort) रहेगा कि मैं हिन्दी को आम (common) जनता (public) के और करीब (near) लाऊं।
गलतियाँ (mistakes) सभी से होती हैं। मुझसे भी अगर हुई हों तो कृपया (please) मुझे क्षमा कीजियेगा।
आप के सुझावों (suggetions) का मुझे इंतज़ार रहेगा।
मैं एक महाविद्यालय (college) में प्रौद्योगिकी (technology) का अध्ययन (study) कर रही हूँ। यहाँ पढ़ते समय एक बात मुझे हमेशा खटकती थी कि हिन्दी इतनी अच्छी भाषा (language) होते हुए भी आजकल के युवा वर्ग (youth) से बहुत दूर है। मतलब यह कि अख़बार (newspaper) पढ़ना भी उन्हें टेढी खीर लगता है। मैं ये नही कहती कि मैं इस युवा वर्ग में हिन्दी के लिए आदर (respect) जगाना चाहती हूँ। मैं कोई बड़ी बातें नही कर रही पर सिर्फ़ इतना चाहती हूँ कि वे कम से कम अपनी मातृभाषा (mother tongue) को समझे, कम से कम उसे पढ़ तो सकें फिर चाहे उसका सम्मान (respect) करें या न करें।
ये काम इतना आसान नही है पर मेरा प्रयास (effort) रहेगा कि मैं हिन्दी को आम (common) जनता (public) के और करीब (near) लाऊं।
गलतियाँ (mistakes) सभी से होती हैं। मुझसे भी अगर हुई हों तो कृपया (please) मुझे क्षमा कीजियेगा।
आप के सुझावों (suggetions) का मुझे इंतज़ार रहेगा।
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